Sunday, July 26, 2020

हौसला

                          

                          स्व प्रेरणा

कहने को तो यूं में हारा नहीं
क्योंकि हर कश्ती का किनारा नहीं
रूबरू हूं में अपने आप से
लोगों के केह देने से में नकारा नहीं
जनता हूं मेरी गलती का सबब है हार मेरी
पर यूं हार मान कर मुझे पछताना नहीं
कह दो इस ज़माने से अपनी तसली अपने पास रखें
है मुझमें भी लड़ने की काबिलियत में कोई बेचार नहीं
मेरे मौला को भी है मुझपे भरोसा
शायद मैने ही अपनी काबिलयत को पहचाना नहीं
छोड़ जाऊंगा में भी इस ज़माने में अपना अस्तित्व
सूरज की रोशनी हूं, में कोई टूटता तारा नहीं
मेरी तकदीर भी चमकती हीरा है
मैने ही खुद को तसल्ली से तराशा नहीं
रहमत बकश मेरे इलाही मुझ पर
में भी तेरा बंदा हूं कोई आवारा नहीं।

Saturday, July 25, 2020

मंज़िल

             

                   राह - ए - मंज़िल

मुश्किल से सीखना है,बहुत कुछ
अपने दम पर कर दिखाना है,बहुत कुछ
दुनिया की परवाह नहीं मुझे
खुद को साबित करके बताना है, बहुत कुछ
जानती हूं आसं नहीं राह मंज़िल की
पर काटों पे भी चल के पाना है,बहुत कुछ
जिंदगी तो आजमाईश का दूसरा नाम है
पर हर मुसीबत से सीखना है,बहुत कुछ
मुसाफिर हूं इस दुनिया में
राहों को मिला कर बनाना है बहुत कुछ
भटकते भटकते ही सही
बुलंदियों को छु कर जीत जाना है,बहुत कुछ।
                                         By- दीक्षा साह

एहसास

             

                  बेनाम से मेरे एहसास

हैरान सा कर देते है उसके खुवाब मुझे
क्यों हर राह बेगानी सी लगती है।
उसके दर्द की आह मुझे
क्यों पहचानी सी लगती है।
दिल हर दिन सवाल किया करता है
क्या तेरी वो कुछ लगती है।
झुकी सी नजरें उसकी शायद मुझसे
हर पल कुछ पूछा करती है।
ना जानें क्या चुभन है उसकी आंखों में
जो मेरे दिल को टटोला करती है।
खुशी मिले उसे ग़ज़ल के तरन्नुम सुनके
उसकी ये हसीं मुझे सुकून दिया करती है।
मेरे एहसास मुझे उलझा देते है उसकी बातों में
या वो मेरे दिल के करीब रहा करती है।
पास हो मेरा या दूर हो मुझसे
लगता है जैसे हर पल याद मुझे ही किया करती है।
मेरे दिल में छुपे जज्बातों को शायद
वो खुद में महसूस किया करती है।
ना जाने वो सच में है या मेरी कोई कल्पना
मेरे खुवाबों में ही सही पर प्यार मुझसे ही किया करती है।                            By- दीक्षा साह

क्या में वही हूं जो दिखती हूं?

मैं कभी कभी सोचती हूं, क्या मैं वही हूं जो दिखती हूं। क्या मेरा हर निर्णय स्वयं मेरा है? क्योंकि ऐसा नही है तो, मैं भी समाज द्वारा विशेष ढां...