Sunday, July 26, 2020

हौसला

                          

                          स्व प्रेरणा

कहने को तो यूं में हारा नहीं
क्योंकि हर कश्ती का किनारा नहीं
रूबरू हूं में अपने आप से
लोगों के केह देने से में नकारा नहीं
जनता हूं मेरी गलती का सबब है हार मेरी
पर यूं हार मान कर मुझे पछताना नहीं
कह दो इस ज़माने से अपनी तसली अपने पास रखें
है मुझमें भी लड़ने की काबिलियत में कोई बेचार नहीं
मेरे मौला को भी है मुझपे भरोसा
शायद मैने ही अपनी काबिलयत को पहचाना नहीं
छोड़ जाऊंगा में भी इस ज़माने में अपना अस्तित्व
सूरज की रोशनी हूं, में कोई टूटता तारा नहीं
मेरी तकदीर भी चमकती हीरा है
मैने ही खुद को तसल्ली से तराशा नहीं
रहमत बकश मेरे इलाही मुझ पर
में भी तेरा बंदा हूं कोई आवारा नहीं।

No comments:

क्या में वही हूं जो दिखती हूं?

मैं कभी कभी सोचती हूं, क्या मैं वही हूं जो दिखती हूं। क्या मेरा हर निर्णय स्वयं मेरा है? क्योंकि ऐसा नही है तो, मैं भी समाज द्वारा विशेष ढां...